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धृतराष्ट्र उवाच -
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्ञय॥
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मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्ञय॥
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और आज से एक नया प्रयोग,
मुझसे श्रीमद्भगवतगीता क्या कहती है-
(धृतराष्ट्र ने पूछा)
क्या कर्म किया?
कुरु-वंश पुत्रों ने,
कुरुभूमि में!
कुरु-वंश पुत्रों ने,
कुरुभूमि में!
(कुरु= कौरव-पांडवों के पूर्वज ’कुरु’ कहलाते थे।)
(क्रमशः)
3 comments:
मेरे लिए तो आप का काम प्रशंशीय है धन्यवाद
प्रयास सही नियत से हो यही मायने रहता है। शुभकामनाएं स्वीकारें।
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बोटी-बोटी जिस्म नुचवाना कैसा लगता होगा?
ये कोई छोटा नहीं अपितु बहुत बडा प्रयास है!!
शुभकामनाऎँ!!!
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