Monday, April 07, 2014

आठ साल












'मन की बात ' आज पूरे आठ साल  का होगया है। छः अप्रैल २००६ से इसी प्रार्थना से प्रारम्भ किया था। 
आठ साल बड़ी उम्र है कुछ समझ तो बढ़ी ही होगी शायद  :-)  

'वंदन करते हैं हॄदय से'

वंदन करते हैं हॄदय से
याचक हैं हम  ज्ञानोदय के,
वीणापाणी शारदा मां !
कब बरसाओगी विद्या मां?
कर दो बस कल्याण हे मां।
हे करुणामयी पद्मासनी!
हे कल्याणी धवलवस्त्रणी!
हर लो अंधकार हे मां,
कब बरसाओगी विद्या मां ?
कर दो बस कल्याण हे मां।
जीवन सबका करो प्रकाशित,
वाणी भी हो जाए सुभाषित,
बहे प्रेम करुणा हॄदय में,
ना रहे अज्ञान  किसी में,
ऎसा  दो वरदान हे मां,
कर दो बस कल्याण हे मां।
ज्ञानदीप  से दीप जले,
विद्या धन का रुप रहे,
सौंदर्य ज्ञान  का बढ़ जाए,
बुद्धी ना कुत्सित हो पाए,
ऎसा देदो वरदान हे मां!
कर दो बस कल्याण हे मां!
कर दो बस कल्याण हे मां॥

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