१
राह चलते चलते
पत्थर से जो टकराया,
बड़ी मुश्किल से
गिरने से बच पाया।
फिर भी पैर तो
रक्त से लथपथाया।
पर संतोष है कि
भविष्य में ठीक से
चलना तो आया।
२
धोखे से वार करने वालों
वार का मतलब तो जानो,
वार करने वाले वीर होते हैं,
सामने डटते हैं और धीर होते हैं।
पीछे से वार करने वाले होते हैं कायर,
वीरता तो दूर मन पूरी तरह
होते हैं घायल।
३
उड़ती तो पतँग भी है
पर पँछी नहीं होती।
लगती ही तो उड़ती सी है
पर डोर से बँधी होती।
घूम सकती है उतना
जितनी डोर हो साथ।
पँछी तो उड़ता है चाहे जितना
आता नहीं कभी किसी के हाथ।
(१ एवं ३ अनुभूति में प्रकाशित हो चुकी हैं।)
9 comments:
पीछे से वार करने वाले होते हैं कायर,
वीरता तो दूर मन पूरी तरह
होते हैं घायल।
ये पंक्तियाँ खास तौर पर पसंद आईं !
तीनों ही क्षणिकायें अत्यंत भावपूर्ण हैं।
लिखते रहिये,
धन्यवाद!
तीनो ही पसन्द आई. बहुत खुब.
सभी रचनाएं सुन्दर है ।
तीनों बातें बढ़िया बताईं आपने।अच्छी लगीं।
सभी बहुत खूब हैं
सुन्दर भावपूर्ण रचना
मुझे कावीता लिखना नहीं आता मगर मगर दूसरों का पढ कर कुछ समझ में आता है। आपके का हर एक शब्द बहुत सही लिखा है।
सभी को धन्यवाद। शुऎब मैं तो मन की बात कह देती हूँ।
-प्रेमलता
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