Friday, October 09, 2009

एक नया प्रयास ४

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अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि।
युयुधनो विराटश्च द्रुपदश्च महारथः॥

धृष्टकेतुश्चेकितानः काशिराजश्च वीर्यवान।
पुरुजित्कुन्तिभोजश्च शैब्यश्च नरपुङ्गवः॥
युधामन्युश्च  विक्रान्त उत्तमौजाश्च वीर्यवान्।
सौभाद्रो द्रौपदेयाश्च सर्व एव महारथाः॥
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शूर सात्यकि!
विराट! दृष्टकेतु!
भीमार्जुन से!
द्रुपद! शैव्य!
गंगज! काशीराज!
पुरुजित भी!
वो उत्तमौजा
सौभद्र, सुधामन्यु।
द्रौपदेय !कुंती जनक!
महारथी वीर!

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