Tuesday, September 16, 2008
सबसे छोटे हैं सबसे बड़े!
और हम अपने भतीजे के बेटे की बुआ दादी बन गए।
पाँच सितंबर को अचानक मूवमेंट कम हो जाने पर डॉक्टर से सलाह ली तो उसने शल्यक्रिया करके बच्चे को जन्म देने की फुर्तीली सलाह दी जो सर्वसम्मति से तत्काल मान ली गयी। और इस तरह ये महानुभाव दुनिया में आगए। यह नयी पीढ़ी के सबसे बड़े बुजुर्ग बनें। यूँ हमारे परिवार की सबसे छोटी लड़की का खिताब हमारे ही पास है। चाहे हम बूढ़े ही क्यों न हो गए हैं।
दुनिया में आते ही इन्होंने आँसूओं से रोना शुरु कर दिया। भूख से तड़पते हुए अपना पूरा अँगूठा अपने मुँह में भर कर लगे चपड़-चपड़ चूसने। नर्स को खींचकर हाथ बाहर निकालना पड़ा कहीं गला ही न घोंट लें। आजकल इनका काम भूख शांत करना और मल त्यागना है। पर हैं बड़े क्यूट!!!
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