Tuesday, August 26, 2008

प्रचंड वेगिनी

बद्रीनाथ से कुछ ही दूरी पर माणा गाँव है। जो भारत का अंतिम गाँव माना जाता है कहते हैं उसके बाद चीन की पहाड़ियाँ शुरु हो जाती हैं। माना गाँव और बद्रीनाथ के बीच में गणेश गुफा और व्यास गुफ़ा पड़ती हैं,
उसके नज़दीक ही सरस्वती गिरती है।
कथा प्रचलित है कि वेदव्यास अपनी गुफ़ा से बोलते जाते थे और गणेशजी लिखते जाते थे, इसप्रकार वेद-पुराण लिखे गए। सरस्वती इतने वेग और ध्वनि से नीचे गिरती थी कि व्यासजी ने सरस्वती को बार-बार समझाया कि ध्वनि कमकरले व्यवधान होता है पर वो मानी ही नहीं तब व्यास ने उसे धमकाया कि वे उसे छिपा देंगे तब भी सरस्वती न मानी तो व्यास ने उसे अलकनंदा में मिला दिया। पर सरस्वती का वेग और धवनि आज भी पूरे प्रचंड रुप में देखा जा सकता हैं। ऊँचाई से और प्रबल वेग से गिरने के कारण इतना शोर मचाती है और छींटे फेकती है कि हर कोई डरा सा हो जाता है। उसकी विकरालता देखकर लगता है पता नहीं क्या करके रहेगी।
सरस्वती बीच में एक बहुत बड़ी चट्टान नदी के बिल्कुल बीचों-बीच अटकी हुई है, कहते हैं कि यह भीम का पुल है। जब पांडव हिमालय पर चढ़ रहे थे तो बीच में सरस्वती आगयी। द्रोपदी को पार उतारने के लिए भीम ने एक बड़े पाषाड को गिराकर नदी पार करायी। उसके आगे स्वर्गारोहण मार्ग है। वहाँ से पांडव स्वर्ग चले गए।
जो एक बार सरस्वती को देख ले वह उसकी प्रचंडता कभी भूल नहीं सकता।

2 comments:

मुनीश ( munish ) said...

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प्रेमलता पांडे said...

मुनीशजी धन्यवाद ब्लॉग पर आने हेतु। वर्ड-वैरीफिकेशन हटा दिया है।

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