Thursday, October 19, 2006

शुभ दीपावली

दीप जले हैं,
चहुँ ओर सजे हैं।
ज्योतिर्मय है धरा और पवन,
ज्योति के जैसे खिले सुमन।
घर आलोकित, दर आलोकित,
आलोकित है पथ सारा,
धरती के इन दीपों ने
कर दिया है धुंधला तारा मंडल सारा।
सर्वत्र प्रकाश ही प्रकाश है,
अंधकार को ना कोई आस है,
सो वह धुंआ बन उड़ रहा है,
प्रकाश से डर रहा है।
आओ हम मन का प्रकाश करें,
तन में प्रकाशित श्वांस भरें।
दिव्य भाव ज्योति जलाएँ,
कटुभाव तिमिर मिटाएँ।
संदेह को ज़ुदा कर दें,
त्याग और विश्वास के दिये धर दें।
प्यार की रौशनी से,
मानवता का पथ सजे,
सत्य-अहिंसा के रथ पर चढ़कर,
एक साथ सब चलें।
संपूर्ण संसार को प्रकाशित करें,
संपूर्ण ब्रह्मांड को आलोकित करें।

4 comments:

संजय बेंगाणी said...

शुभ-दीपावली

Pramendra Pratap Singh said...

दीपो की रौशनी से रौशन हो जग सारा,
इस काम को करने का कर्तव्‍य है हमारा।

आपको दीपावली पर्व की शुभ कामनाऐ

Udan Tashtari said...

आपको भी दीपावली की बधाई एवं शुभकामनायें.

Anonymous said...

Wish you शुभ दीपावली!

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