Friday, July 07, 2006

भूख-प्यास

भूख
भूख तो सभी को लगती है,
पर सहनी सबसे ज़्यादा पेट को पड़ती है।
भूख के भी कई प्रकार हैं,
पेट के भी कई आकार हैं,
छोटे पेट वालों को तो भूखे पेट सोना पड़ता है,
बड़े पेट वालों का पेट तो सोने से ही भरता है।
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प्यास
हर कोई है प्यासा सा,
रहता है आसरा आशा का।
प्यास पानी की है कई अर्थ में,
प्यास बुझे ना बुझे,
पानी ना उतर जाए व्यर्थ में।
पेय-द्रव से तो प्यास सब बुझाते हैं,
हम तो द्रव्य से लोटा भरना चहते हैं।

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