Saturday, April 08, 2006

हमारी बात मान लो

बहुत हो गया अत्याचार,
फैल गया भ्रष्टाचार,
अब इसे लगाम दो,
विराम की ठान लो,
तभी क्रांति आएगी,
सारे में शांति छाएगी।
हरेक को प्रतिज्ञा करनी है,
पापों की छटनी करनी है।
धन-संपदा की चाहत में
मत फंसो पूरी तरह आफत में।
यह तो नरक का रास्ता है,
बुराइयों का नाश्ता है।
एक बार धन की इच्छा जाग्रत होने पर,
मन नहीं लगता सोने पर।
सपने में भी चालाकी सूझती है,
बार-बार बेईमानी के हल पूछती है।
आत्मा तो मर ही जाती है
बुद्धि बेकाबू हो जाती है।
बस समझ लो भ्रष्टता शुरु हो गयी,
पूरी तरह दृष्टि ख़त्म हो गयी।
कोई दिखायी नहीं देता है,
बस धन का ही ब्यौरा होता है।
शोषण का शौक़ चढ़ जाता है,
ध्रष्टता को भी मौक़ा मिल जाता है।
अपना कोई ना रह पाता है,
किसी का प्यार ना मिल पाता है।
धन कर देता है दूर सबसे,
पास रख देता है बुराई अब से।
समय रहते जान लो,
इस अर्थ को पहचान लो।
यह तो दल-दल है,
जो फंसाता हर पल है।
समाज को तोड़ देता है,
परस्पर अंतर कर देता है।
बराबर खड़े आगे पीछे हो जाते हैं,
हीनता के बीज पक जाते हैं।
कर्त्तव्य-भावना मर जाती है,
ना दूसरों की परवाह रह जाती है।
फिर पछताना पड़ता है,
जीवन कांटों में अड़ता है।
अब इसे सुधार लो,
ज़्यादा है तो दान दो।
सबको एकसा मान लो,
गिरे हुओं पर भी कुछ ध्यान दो।
उठाकर उन्हें खड़ा कर लो,
हाथ पकड़कर साथ चल दो।

2 comments:

Sagar Chand Nahar said...

प्रेमलता जी काफ़ी अच्छा लिखती हैं आप, परन्तु ब्लोग की कलर थीम अखरती है, अपने डेश बोर्ड पर सैटिंग पर चटका लगायें, फ़िर Template पर चटका लगायें, वहाँ आपको Pick New मिलेगा इसमे जाने पर कई नई कलर थीम मिलेगी, उस के नीचे use this Template पर चटका लगानें से आपके ब्लोग की कलर थीम बदल जायेगी.
आपकी मदद के लिये यहाँ चटका लगायें http://www.akshargram.com/sarvagya/index.php/How_to_maintain_site_statistics_of_your_blog

प्रेमलता पांडे said...

नाहर् जी चट चटका लगाकर चटक रंग कर दिया गया है। धंयवाद।

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