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तस्य सञ्ञनयन्हर्षं कुरुवृद्धः पितामहः।
सिंहनादं विनद्योच्चैः शङ्खंदध्मौ प्रतापवान।
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उच्चै गरजा
प्रपौत्र-हर्ष हेतु।
भीष्म का शंख॥
दुर्योधन की दुर्बलता को समझते हुए भीष्म ने सिंह के समान शंख ध्वनि कर उसे प्रसन्न करने का प्रयास किया।ताकि हैंसला बना रहे। (दुर्योधन सामने पांडवों की सेना देखकर मन ही मन घबरा रहा था यह भीष्म पहचान गए थे।)
तस्य सञ्ञनयन्हर्षं कुरुवृद्धः पितामहः।
सिंहनादं विनद्योच्चैः शङ्खंदध्मौ प्रतापवान।
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उच्चै गरजा
प्रपौत्र-हर्ष हेतु।
भीष्म का शंख॥
दुर्योधन की दुर्बलता को समझते हुए भीष्म ने सिंह के समान शंख ध्वनि कर उसे प्रसन्न करने का प्रयास किया।ताकि हैंसला बना रहे। (दुर्योधन सामने पांडवों की सेना देखकर मन ही मन घबरा रहा था यह भीष्म पहचान गए थे।)
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