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अपर्याप्तं तदस्माकं बलं भीष्माभिरक्षितम्।
पर्याप्तं त्विदमेतेषां बलं भीमाभिरक्षितम्॥
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कौरव बल!
पितामह-रक्षित
अजेय सेना॥
सम्मुख बल,
भीमसेन रक्षित।
जय-सुगम॥
अपर्याप्तं तदस्माकं बलं भीष्माभिरक्षितम्।
पर्याप्तं त्विदमेतेषां बलं भीमाभिरक्षितम्॥
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कौरव बल!
पितामह-रक्षित
अजेय सेना॥
सम्मुख बल,
भीमसेन रक्षित।
जय-सुगम॥
1 comment:
बहुत सुन्दर प्रयोग
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