Friday, January 19, 2007

आम-जीवन...

आँवले के खट्टे और कसैले स्वाद के कारण बहुत लोग इसे कच्चा सेवन करने से कतराते हैं, तो चलिए आज इसका अचार भी बना लेते हैं। आँवले का अचार दोनों स्वाद (नमकीन और मीठा) का बनाया जाता है।
आँवलों को अच्छी प्रकार धोकर छाया में पूरी तरह सूखने के लिए छोड़ दें। जब बाहरी नमीं बिल्कुल समाप्त हो जाए तब अपनी पसंद से टुकड़ों में काट लें। अब अपने स्वाद और इच्छानुसार पिसे हुए नमक, कालानमक, कालीमिर्च, लालमिर्च, धनिया-सौंफ (दरदरा करलें), सौंठ-चूर्ण और चुटकी भर हल्दी को आग पर ज़रा सा अकोर लें। स्मरण रहे सभी मसाले साफ और अन्न के संपर्क से दूर रहें हो वही प्रयोग करें अन्यथा अचार खराब हो सकता है। अब एक बड़ा चम्मच सरसों का तेल आग पर उबाल कर ठंडा कर लें। आंवले के टुकड़े और सभी मसालों को उसी बर्तन में जिसमें अचार रखना है, डालकर ऊपर से वह तेल डालकर बर्तन का ढक्कन बंद करके अच्छी तरह हिला दें ताकि मसाले हर टुकड़े तक पहुँच जाएं। अब इस बर्तन को यदि वह पारदर्शी है तो कपड़े से ढककर तेज धूप में रखें, अन्यथा ऐसे ही धूप में रख दें। दो या तीन दिन बाद स्वाद लें।
उपरोक्त अचार को बनाते समय ही यदि तेल के स्थान पर इसमें चीनी आवश्यकतानुसार डालकर हफ्ता-दस दिन तक सुखाएं तो मीठा अचार बन जाता है। हमें ध्यान रखना है कि आंवला ताज़ा हो, साफ और पूरी तरह सुखा लिया हो। ज़रा भी अन्न का स्पर्श अचार को ख़राब कर देता है।

2 comments:

Udan Tashtari said...

अचार तो हमसे नहीं बन पायेगा..मुआफी चाहूँगा...मगर आप बनायें तो बचा कर रखियेगा, अन्न न छुये...अगली बार आप से ही एक शीशी मीठा और एक शीशी दूसरा वाला लेते आयेंगे. शीशी प्लास्टिक में पैक कर दिजियेगा, कहीं सूटकेस में चू न जाये.. :)

Tāpas said...

कुछ पुराने दिन याद आ गये इस पोस्ट को पढ़ कर... छत पर रखी अचार की शिशियाँ और शाम के समय सूर्य की तिरछी किरणें.....etc..
(आपके प्रोफाइल लिन्क मे कुछ समस्या है, इसलिये Blogsearch के सहारे आपके ब्लाग तक पहुँच पाया )

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