स्वीकार हों दीपावली की शुभकामनाएँ,
हैं छिपी इसमें सदभावनाएँ।
गणपति विघ्न मिटाएँ,
मान-बुद्धिधन सदा लुटाएँ।
सरस्वती ज्ञान का भंडार दें,
राशि बढ़े ऐसा वरदान दें।
लक्ष्मी करें धन की कृपा,
दें सभी की दरिद्रता मिटा।
प्यार का दीप जलता रहे,
नफरत का धुंआ छटता रहे।
सदा मन मे दीवाली रहे,
पृथ्वी हरी-संपदा वाली रहे॥
Wednesday, October 18, 2006
शुभकामनाएँ
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4 comments:
बनाएं कर्म को अपनी पूजा
नहीं कोई समृद्धी-द्वार दूजा
दीपक जल कर यह दिखलाता
जल कर पाओ, यह सिखलाता
शुभकामनाएँ हमारी भी कीजिये स्वीकार।
आपको भी दीपावली की ढ़ेरों शुभकामनायें.
शुभ दीपावली
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