Tuesday, October 03, 2006

गांधीजी

महात्मा गांधी ने सत्याग्रह को सर्वाधिक प्रभावशाली औज़ार बताया था, परन्तु आज वास्तविकता कुछ और है। फिर भी दिलासा है, परिवर्तन की आशा है-

नहीं कोई शिकायत है दुनिया से,
वाक़िफ हूं उसकी पूरी हुलिया से।
यहां सच मरता है,
झूठ ही झूठ बिकता है।
ईमानदारी छली जाती है,
समझदारी पड़ी रह जाती है।
बेईमानी का चलन है,
परिश्रम पर जलन है।
यदि तुम चाहो करना तपस्या,
तो दिखायी देंगी असंख्य समस्या।
तुम मजबूर किए जाओगे,
सच से दूर फेंके जाओगे।
बार-बार मिलेगा धक्का,
झूठ के सहारे चलेगा खोटा सिक्का।
बार-बार उठेगी अंगुली,
ज़बरदस्ती भिड़ेगें दंगली।
पर तुम्हें तो अडिग रहना है,
सच के साथ अपनी बात कहना है।
मत बहकना जीवन की राह में,
कभी झूठ मत बोलना धन की चाह में।
वरना तुम्हारी आत्मा मर जाएगी,
सोचने की शक्ति चली जाएगी।
शेष रह जाएगी सांसारिक काया,
और साथ में छलने वाली माया।
सच की राह पर चले जाना,
झूठ को मिटाने की मन में लाना।
धीरे-धीरे परिवर्तन आएगा,
दुनिया को सच से सजाएगा,
सर्वत्र होगी ईमानदारी,
एकत्र होगी समझदारी।
एक दूसरे पर त्याग करना,
जीवन में स्नेह के रंग भरना।
आएगी बड़ी क्रांति,
सर्वत्र होगी शांति॥

3 comments:

Udan Tashtari said...

अति सुंदर और प्रभावशाली.

Manish Kumar said...

समाज की हालत बखूबी बयां की आपने ।

Anonymous said...

बहुत सुन्दर!

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