माँ भारती
माँ का रुप है तू,
ध्वनि का स्वरुप है तू।
तेरे बिन हम अधूरे हैं,
तू ना हो तो बेसहूरे हैं।
तेरे से मिली है वाणी,
तेरे बिन दुनिया ना जानी।
माँ तू तो अभिमान है,
देश का सम्मान है।
तेरे से गुणगान है,
तेरे बिन सूना जहान है।
अपनी बहनों में तू रानी है,
वो तेरी अभिमानी हैं।
देशकाल से ऊपर है तू,
विषय-शैली का गौरव है तू।
अखिल विश्व में पहचान हमारी,
सबके दिलों की प्राणप्यारी।
कपूत उजाड़ पर तुले हैं,
तुझे मारने खड़े हैं।
पर उन्हें है क्या पता?
हम उन्हें देंगे जता!
नष्ट वो करेंगे अपने को,
तैयार हों सजा भुगतने को।
उनकी आवाज घुट जाएगी,
भारती सर्वत्र सुनी जाएगी।
समय अब दूर नहीं है,
हिंदी अब मजबूर नहीं है।
इसका मान बढ़ा है,
इसका सम्मान चढ़ा है।
राष्ट्रगौरव प्राप्त इसे,
राजवर मिला है इसे।
रानी है यह सरकार की,
नहीं परवाह इसे अधिकार की।
यह हृदय में रहती है,
गंगा जैसी बहती है।
इसकी तपस्या करनी है,
संपूर्ण जगत में भरनी है।
1 comment:
सुंदर है, बधाई.
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