Friday, July 28, 2006

हम बड़े भक्त हैं

हम बड़े भक्त हैं,
रहते सदा संत हैं,
पर जब कोई मछली आये,
मन को भाये,
तोड़ देते अपना व्रत हैं।


हम बड़े भक्त हैं,
बात के बड़े सख्त हैं,
जब कभी कोई लालच दे,
तोड़ देते अपना प्रण हैं।


हम बड़े भक्त हैं,
जोश में रखते अपना रक्त हैं,
जब कभी कोई मोर्चा बाँधे,
छोड़ देते रण हैं।


हम बड़े भक्त हैं,
जीवन में तुष्ट हैं,
जब कभी कोई राज खुले,
पाये जाते भ्रष्ट हैं।

2 comments:

Manish Kumar said...

सही कहा आपने, मौकापरस्ती तो समाज का अभिन्न अंग बन गई है।

Shuaib said...

बहुत खूब

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