Monday, May 22, 2006

रोशनी और अंधेरा

समय के साथ चलो
नयी नयी बात करो
नयी सुबह है मिली,
चारों ओर मीठी धूप खिली।
अलसायी रात गयी,
सुनहरी प्रातः भयी,
अरे मन जल्दी करो,
नयी गागर भरो,
पर ना भूलो कल को।
होगा हर दिन नया दिन,
पर ना पूरा है कल के बिन,
आने वाले कल का भी होगा भला,
जो चलेंगे समय को साथ मिला,
रोज़ रात के बाद दिन आएगा,
जो अंधेरे की अहमियत बताएगा।
रोशनी और अंधेरा साथ साथ हैं,
जैसे इक ज़मी पर दो रात हैं।

1 comment:

Udan Tashtari said...

बढियां है, बधाई.

समीर लाल

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