Saturday, December 30, 2006

मंगलकामना

नया साल सबके लिए खुशहाली लेकर आए। सर्वत्र सुख-शांति हो।
कुछ शब्द प्रस्तुत हैं-

प्यार हो, प्यार हो ,
बस प्यार हो,
हर किसी में अपार हो।
ना रहे कोई वँचित,
ना रखे कोई सँचित,
यह तो खर्च हर बार हो।
प्यार हो प्यार हो,
बस प्यार हो।

धनी तो प्यार के सभी होंगे,
शायद ही ग़रीबी की रेखा के नीचे होंगे,
खर्च पर समान हो,
प्यार हो, प्यार हो,
बस प्यार हो।

धर्म आड़े ना आएँ,
संप्रदाय बाड़े ना लगाएँ,
ना हों वैमनस्य की मेढ़ें बनीं,
ना हों ईर्ष्या-जलन की दीवारें खड़ीं,
बस सरल मैदान हो,
प्यार हो, प्यार हो,
बस प्यार हो।

ना भय किसी में हो,
ना भय किसी से हो,
बस निश्छल मन हो,
भरा गुणों से जन हो,
सभी में ये भाव हो,
प्यार हो, प्यार हो,
बस प्यार हो।

हो एक ही धर्म मानवता,
सबका एक ही कर्म पालन का।
सभी में हो रसिकता,
जो बने सभी की मोहकता,
अपनत्व की बौछार हो,
प्यार हो, प्यार हो,
बस प्यार हो।

Friday, December 29, 2006

नया साल आने वाला ही है

निवेदन!
साल के अंत में हम सभी कुछ ना कुछ लेखाजोखा तो अवश्य करते हैं, सोचते हैं क्या अच्छा रहा क्या बुरा घटित हुआ? क्या उप्लब्ध हुआ क्या ना मिलने का अफ़सोस रहा? क्या चाहा था! क्या हो गया! अच्छी बातों के लिए हम अपनी तारीफ़ करने लगते हैं तो ना पसंद बातों के कारणों का ठीकरा किसी और के सिर फोड़ देते हैं या फिर क़िस्मत और भगवान के हिस्से कर देते है।
तकनीकी क्रांति और उपभोक्तावाद की चकाचौंध में हमारी आँखें पूरी नहीं खुल पा रहीं हैं। नए साल के पहले लेखाजोखा करते समय सभी को रौशनी की ओर पीठ करके देखना चाहिए।
सामाजिक बुराइयाँ सभी के लिए परेशानी का कारण हैं, यदि शिक्षित और समृद्ध समाज थोड़ा समय इनके उन्मूलन के प्रयोजन में लगाए तो अवश्य ही बदलाव आएगा। सामाजिक बुराइयाँ क़ानून के साथ-साथ समाज के सहयोग से ही दूर की जा सकती हैं। हम सब का कर्त्तव्य है कि अपनी-अपनी क्षमता और सामर्थ के अनुसार समाज सुधार के लिए समय दान करें।
नयी पीढ़ी(बहुसंख्यक है) के गुमराहों पर संकेतक लगाएं तथा उन्हें रास्ते चुनने में निःस्वार्थ मदद करें।
संवाद एक सर्वाधिक प्रभावशाली तरीक़ा है। उनके बीच अल्प समय बिताकर भी उनमें उत्साह और आशा का संचार किया जा सकता है। शुद्ध परामर्श और निर्देशन उनका जीवन बदल सकते हैं, परंतु इसके लिए पहले स्वयं व्रत लेना होगा, इसका परिणाम सभी के लिए सुखदायी होगा। विचारों और व्यवहार में समृद्ध समाज स्वर्ग से भी बढ़कर होता है।

Sunday, December 24, 2006

मानवता सर्वोपरि

भारत एक सहिष्णु राष्ट्र है और धर्मनिरपेक्षता का अनुयायी है। क्रिसमस के अवसर पर सभी को शुभकामनाएँ। ईशु ने प्रेम का संदेश दिया और सेवा को कर्त्तव्य बताया यही तो श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है , यही मौहम्म्द साहब ने सिखाया और यही गौतम बुद्ध और श्री महावीर स्वामी ने कहा है। सभी के विचार समान हैं। हम सभी परस्पर स्नेह और सेवा के धर्म में बंधे हैं अर्थात मानवता सर्वोपरि है।

Saturday, December 16, 2006

सरद-काल

सरद-काल


सरद काल
गुड़ मिला भात
मक्की की रोटी
सरसों का साग
वाह! भई क्या बात।

सरद काल
ख़िला ग़ुलाब
गेंदा आबाद
क़ुदरत तेरा कमाल।

सरद काल
ब्याह की ढ़पताल
पंडितों की मालामाल
घोड़ी बेहाल।

सरद काल
रजाई गद्दा का सवाल
ग़रीब के जी का जंजाल।

सरद काल
धूप का अकाल
बिजली की किल्लत
जीवन बेहाल।

सरद काल
क्रिकेट का बुख़ार
टीवी के आगे बैठने को लाचार।

(कम्प्यूटर ख़राब था इसलिए इतने दिनों बाद )

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