tag:blogger.com,1999:blog-25517280.post116042411856026045..comments2023-06-18T18:52:59.018+05:00Comments on मन की बात: श्लेषाधिराजप्रेमलता पांडेhttp://www.blogger.com/profile/11901466646127537851noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-25517280.post-1160614533438679012006-10-12T05:55:00.000+05:002006-10-12T05:55:00.000+05:00प्रेमलता जी,एक पद पूरा करने के लिये अति धन्यवाद। द...प्रेमलता जी,<BR/><BR/>एक पद पूरा करने के लिये अति धन्यवाद। दूसरे पद की एक ही पंक्ति याद है। कोशिश करने पर भी और याद नहीं आ रही है।<BR/><BR/>सस्नेह,<BR/><BR/>लक्ष्मीनारायणLaxmihttps://www.blogger.com/profile/01605651550165016319noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-25517280.post-1160585404613621822006-10-11T21:50:00.000+05:002006-10-11T21:50:00.000+05:00लक्ष्मीनारायणजी ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद।आपने द...लक्ष्मीनारायणजी ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद।<BR/>आपने दो कवित्तों को पूरा करने के लिए लिखा है, प्रथम पद तो आज मिला नहीं हो सके तो पहले पद की एकाध पंक्ति और लिखने का कष्ट करें तब शायद ढूंढ लूँ| <BR/>दूसरा पूरा लिख रही हूँ,पढ़कर आनंद उठाएं-<BR/><BR/>"नाहीं नाहीं करैं थोरी मांगे सब दैन कहें,<BR/>मंगन कौ देखि पट देत बार बार हैं।<BR/>जिनकौं मिलत भली प्रापति की घटी होति,<BR/>सदा सब जन मन भाए निराधारप्रेमलता पांडेhttps://www.blogger.com/profile/11901466646127537851noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-25517280.post-1160528711592955582006-10-11T06:05:00.000+05:002006-10-11T06:05:00.000+05:00सेनापति के ऊपर लेख और उनकी कवितायें देख कर बहुत प्...सेनापति के ऊपर लेख और उनकी कवितायें देख कर बहुत प्रसन्नता हुई। उनके जीवन के बारे में आपने जो जानकारी दी, मुझे मालूम नहीं थी। मैं ने सेनापति की कुछ कवितायें 9वीं और दसवीं कक्षा में पढ़ी थीं। उनमें से दो के कुछ अंश याद हैं। यदि आप इनको पूरी कर सकें तो बहुत आभार होगा मुझ पर:<BR/><BR/>1. सेनापति उनये नये जलद सावन के दसहूँ दिशानि घुमड़ानि भरे तोय के<BR/><BR/>2. जिनके मिलत भली प्रापति की घटी होति, मंगन Laxmihttps://www.blogger.com/profile/01605651550165016319noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-25517280.post-1160495633974334992006-10-10T20:53:00.000+05:002006-10-10T20:53:00.000+05:00सृजन-शिल्पीजी समालोचनात्मक टिप्पणी करने के लिए बहु...सृजन-शिल्पीजी समालोचनात्मक टिप्पणी करने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। सराहनीय और अनुकरणीय प्रयास है।<BR/>ऐसी गवेष्णात्मक तथ्य्परक टिप्पणी का हमेशा स्वागत है , इससे विषय को व्यापकता और गहराई मिलती है और लेख की स्वस्थ- आलोचना होती है जिससे लेखक को भी अपने लेखन के बारे में पता चलता है।<BR/>प्रस्तुत लेख सेनापति के श्लेषवर्णन को प्राथमिकता देते हुए लिखा है। यही सोचकर यह शीर्षक दिया ।संपूर्ण प्रेमलता पांडेhttps://www.blogger.com/profile/11901466646127537851noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-25517280.post-1160480592687946382006-10-10T16:43:00.000+05:002006-10-10T16:43:00.000+05:00बहुत खूब! साधुवाद, रीतिकाल के महान कवि सेनापति के ...बहुत खूब! साधुवाद, रीतिकाल के महान कवि सेनापति के कवित्त रस को प्रस्तुत करने के लिए। <BR/><BR/>किन्तु सेनापति के ऋतु वर्णन के प्रसिद्ध छंद वे माने जाते हैं जिनमें श्लेष का वर्णन नहीं है। श्लेष भाषिक चमत्कार की सृष्टि भले करते हों, लेकिन उनका कृत्रिम प्रयोग सृजनात्मक अभिव्यक्ति के सहज प्रवाह को भंग भी करता है।<BR/><BR/>श्लेष से अधिक सेनापति अपने कवित्तों की बंदिश में कमाल करते हैं और उसके सहारे हीSrijan Shilpihttps://www.blogger.com/profile/09572653139404767167noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-25517280.post-1160478831382930182006-10-10T16:13:00.000+05:002006-10-10T16:13:00.000+05:00ये कहां से ढ़ूंढ किये? नाम भी पहली बार सुन रहा हूँ!...ये कहां से ढ़ूंढ किये? नाम भी पहली बार सुन रहा हूँ!<BR/>-वैभवAnonymousnoreply@blogger.com